कोविड-19 महामारी, हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, उइगर मुसलमानों का शोषण के अलावा और भी कई मामले हैं जिसके कारण अमेरिका की ओर से चीन पर नकेल कसना जारी है। इस क्रम में 89 चीनी कंपनियों की लिस्ट बनाई गई है जो अमेरिका की कंपनियों से एयरोस्पेस, उसकी तकनीक व अन्य सैन्य साजो-सामान की खरीद करती हैं। इन चीनी कंपनियों को सामान व तकनीक देने पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का मसौदा तैयार है और वैधानिक प्रक्रिया के बाद उसे लागू किया जा सकता है।
इस प्रस्ताव के सामने आने के बाद चीन और अमेरिका में व्यापार संबंधी तनाव और बढ़ सकता है। साथ ही उन अमेरिकी कंपनियों को परेशानी हो सकती है, जो अन्य सामान के साथ नागरिक विमान के कल-पुर्जे चीनी कंपनियों को बेचते हैं। अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। इसी विभाग ने उन कंपनियों की सूची बनाई है। चीन से भी इस पर तत्काल टिप्पणी नहीं मिल सकी है। इस सूची में चीन की कामर्शियल कार्प ऑफ चाइना लिमिटेड और उसकी दस अन्य सहयोगी कंपनी हैं, जिनकी प्रतिस्पर्धा बोइंग और एयरबस के साथ रहती है। इस सूची में चीन के साथ रूस की भी ऐसी कंपनी हैं, जिनके सामान को अंतिम रूप से सेना के लिए बनाया जाता है। अमेरिकी सरकार इन कंपनियों को सामान निर्यात के लिए लाइसेंस देने से मना कर सकती है।
यह प्रस्ताव हाल के कुछ महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा चीन के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों के तहत लिया जा रहा है। दस दिन पहले ही यह आदेश सामने आया है, जिसमें अमेरिकी कंपनियों का ऐसी चीनी कंपनियों को निर्यात पर रोक लगाने का प्रस्ताव है, जो चीन की सेना के नियंत्रण में काम कर रही हैं। यह प्रस्तावित सूची अप्रैल में वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा यह स्पष्ट करने के बाद सामने आई है कि किन-किन उत्पादों को सेना के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। प्रस्ताव में कंप्यूटर सॉप्टवेयर, वैज्ञानिक उपकरण, डिजिटल ऑसिलोस्कोप और एयरफ्राफ्ट के कलपुर्जे शामिल हैं।